रोक सकता हमें ज़िंदान-ए-बला क्या 'मजरूह' Majrooh Sultanpuri@majrooh-sultanpuriरोक सकता हमें ज़िंदान-ए-बला क्या 'मजरूह' हम तो आवाज़ हैं दीवार से छन जाते हैं