मुझ से कहा जिब्रील-ए-जुनूँ ने ये भी वही-ए-इलाही है

मुझ से कहा जिब्रील-ए-जुनूँ ने ये भी वही-ए-इलाही है

मज़हब तो बस मज़हब-ए-दिल है बाक़ी सब गुमराही है