जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए Majrooh Sultanpuri@majrooh-sultanpuriजफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए तुम्हारी बात नहीं बात है ज़माने की