दिल की तमन्ना थी मस्ती में मंज़िल से भी दूर निकलते Majrooh Sultanpuri@majrooh-sultanpuriदिल की तमन्ना थी मस्ती में मंज़िल से भी दूर निकलते अपना भी कोई साथी होता हम भी बहकते चलते चलते