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बढ़ाई मय जो मोहब्बत से आज साक़ी ने

बढ़ाई मय जो मोहब्बत से आज साक़ी ने

ये काँपे हाथ कि साग़र भी हम उठा न सके

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बढ़ाई मय जो मोहब्बत से आज साक़ी ने — Majrooh Sultanpuri • ShayariPage