अलग बैठे थे फिर भी आँख साक़ी की पड़ी हम पर Majrooh Sultanpuri@majrooh-sultanpuriअलग बैठे थे फिर भी आँख साक़ी की पड़ी हम पर अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आएँगे