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GHAZAL

उठाए जा उन के सितम और जिए जा

उठाए जा उन के सितम और जिए जा

यूँ ही मुस्कुराए जा आँसू पिए जा

यही है मोहब्बत का दस्तूर ऐ दिल

वो ग़म दे तुझे तू दुआएँ दिए जा

कभी वो नज़र जो समाई थी दिल में

उसी इक नज़र का सहारा लिए जा

सताए ज़माना सितम ढाए दुनिया

मगर तू किसी की तमन्ना किए जा

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