जब छुआ साथ तुलसी चौरा

जब छुआ साथ तुलसी चौरा

आंखों में सांसों को खींचे

तुमसे जो वादा किया कभी

पड़िया जी के पीपल नीचे

तुम ने चाहा था ख़ुश रहना

ख़ुद ख़ुशी सदा मुझ से सीखे

दुनिया भर के संकल्प सतत

पूरे होते मुझ में दीखे

ख़ुद से अनुबंध किया है अब

मन को निर्बंध किया है अब

गत-विगत मुक्त हो सकने का

सम्पूर्ण प्रबन्ध किया है अब

इस नए साल के पहले दिन

तुम से बाहर सोचा तो है

मन-प्राण सुमरनी छोड़ेंगे

सुनते तो हैं होता तो है

काफ़ी है।