Shayari Page
GHAZAL

वही फिर मुझे याद आने लगे हैं

वही फिर मुझे याद आने लगे हैं

जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं

वो हैं पास और याद आने लगे हैं

मोहब्बत के होश अब ठिकाने लगे हैं

सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं

तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं

हटाए थे जो राह से दोस्तों की

वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं

ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को

ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं

हवाएँ चलीं और न मौजें ही उट्ठीं

अब ऐसे भी तूफ़ान आने लगे हैं

क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है

'ख़ुमार' अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं

Comments

Loading comments…