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तेरे दिल के निकाले हम कहाँ भटके कहाँ पहुँचे

तेरे दिल के निकाले हम कहाँ भटके कहाँ पहुँचे

मगर भटके तो याद आया भटकना भी ज़रूरी था

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तेरे दिल के निकाले हम कहाँ भटके कहाँ पहुँचे — Khalil Ur Rehman Qamar • ShayariPage