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मैं समझा था तुम हो तो क्या और माँगू

मैं समझा था तुम हो तो क्या और माँगू

मेरी ज़िन्दगी में मेरी आस तुम हो

ये दुनिया नहीं है मेरे पास तो क्या

मेरा ये भरम था मेरे पास तुम हो

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मैं समझा था तुम हो तो क्या और माँगू — Khalil Ur Rehman Qamar • ShayariPage