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लफ़्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे

लफ़्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे

तूने जब आख़िरी ख़त मेरा जलाया होगा

तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे

देने वाला भी तुझे याद तो आया होगा

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लफ़्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे — Khalil Ur Rehman Qamar • ShayariPage