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SHER

ख़्वाब पलकों की हथेली पे चुने रहते हैं

ख़्वाब पलकों की हथेली पे चुने रहते हैं

कौन जाने वो कभी नींद चुराने आए

मुझ पे उतरे मेरे अल्हाम की बारिश बन कर

मुझ को इक बूॅंद समंदर में छुपाने आए

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