कुछ न रह सका जहाँ विरानियाँ तो रह गईंKhalil Ur Rehman Qamar@khalil-ur-rehman-qamarकुछ न रह सका जहाँ विरानियाँ तो रह गईंतुम चले गए तो क्या कहानियाँ तो रह गईं