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एक चेहरे से उतरती हैं नक़ाबें कितनी

एक चेहरे से उतरती हैं नक़ाबें कितनी

लोग कितने हमें इक शख़्स में मिल जाते हैं

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एक चेहरे से उतरती हैं नक़ाबें कितनी — Khalil Ur Rehman Qamar • ShayariPage