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NAZM

"याद है पहले रोज़ कहा था"

"याद है पहले रोज़ कहा था"

याद है पहले रोज़ कहा था

फिर न कहना ग़लती दिल की

प्यार समझ के करना लड़की

प्यार निभाना होता है

फिर पार लगाना होता है

याद है पहले रोज़ कहा था

साथ चलो तो पूरे सफ़र तक

मर जाने की अगली ख़बर तक

समझो यार ख़ुदा तक होगा

सारा प्यार वफ़ा तक होगा

फिर ये बंधन तोड़ न जाना

छोड़ गए तो फिर न आना

छोड़ दिया जो तेरा नहीं है

चला गया जो मेरा नहीं है

याद है पहले रोज़ कहा था

या तो टूट के प्यार न करना

या फिर पीठ पे वार न करना

जब नादानी हो जाती है

नई कहानी हो जाती है

नई कहानी लिख लाऊँगा

अगले रोज़ मैं बिक जाऊँगा

तेरे गुल जब खिल जाएँगे

मुझको पैसे मिल जाएँगे

याद है पहले रोज़ कहा था

बिछड़ गए तो मौज उड़ाना

वापस मेरे पास न आना

जब कोई जाकर वापस आए

रोए तड़पे या पछताए

मैं फिर उसको मिलता नहीं हूँ

साथ दोबारा चलता नहीं हूँ

गुम जाता हूँ खो जाता हूँ

मैं पत्थर का हो जाता हूँ

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"याद है पहले रोज़ कहा था" — Khalil Ur Rehman Qamar • ShayariPage