Shayari Page
NAZM

"मैं बिज़नेस-मैन हूँ जानम"

"मैं बिज़नेस-मैन हूँ जानम"

मेरी शोहरत मेरा डंका

मेरे एजाज़ का सुनकर

कभी ये न समझ लेना

मैं चोटी का लिखारी हूँ

मैं बिज़नेस-मैन हूँ जानम

मैं छोटा सा ब्योपारी हूँ

मेरी आरत पे बरसों से

जो महँगे दाम बिकता है

वो तेरे ग़म का सौदा है

तेरी आँखें तेरे आँसू

तेरी चाहत तेरे जज़्बे

यहाँ सेल्फों पे रखे हैं

वही तो मैंने बेचे हैं

तुम्हारी बात छिड़ जाए तो बातें बेच देता हूँ

ज़रूरत कुछ ज़ियादा हो तो यादें बेच देता हूँ

तुम्हारे नाम के सदके बहुत पैसा कमाया है

नई गाड़ी ख़रीदी है नया बँगला बनाया है

मगर क्यूँ मुझको लगता है

मेरे अंदर का ब्योपारी

तुम्हीं को बेच आया है

मैं बिज़नेस-मैन हूँ जानम

मैं बिज़नेस-मैन हूँ जानम

Comments

Loading comments…