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NAZM

प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा

प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा

ग़म किसी दिल में सही ग़म को मिटाना होगा

काँपते होंटों पे पैमान-ए-वफ़ा क्या कहना

तुझ को लाई है कहाँ लग़्ज़िश-ए-पा क्या कहना

मेरे घर में तिरे मुखड़े की ज़िया क्या कहना

आज हर घर का दिया मुझ को जलाना होगा

रूह चेहरों पे धुआँ देख के शरमाती है

झेंपी झेंपी सी मिरे लब पे हँसी आती है

तेरे मिलने की ख़ुशी दर्द बनी जाती है

हम को हँसना है तो औरों को हँसाना होगा

सोई सोई हुई आँखों में छलकते हुए जाम

खोई खोई हुई नज़रों में मोहब्बत का पयाम

लब शीरीं पे मिरी तिश्ना-लबी का इनआम

जाने इनआम मिलेगा कि चुराना होगा

मेरी गर्दन में तिरी संदली बाहोँ का ये हार

अभी आँसू थे इन आँखों में अभी इतना ख़ुमार

मैं न कहता था मिरे घर में भी आएगी बहार

शर्त इतनी थी कि पहले तुझे आना होगा

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