वो भी सराहने लगे अर्बाब-ए-फ़न के बाद

वो भी सराहने लगे अर्बाब-ए-फ़न के बाद

दाद-ए-सुख़न मिली मुझे तर्क-ए-सुख़न के बाद

दीवाना-वार चाँद से आगे निकल गए

ठहरा न दिल कहीं भी तिरी अंजुमन के बाद

होंटों को सी के देखिए पछ्ताइएगा आप

हंगामे जाग उठते हैं अक्सर घुटन के बाद

ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई उस की धूप

क़द्र-ए-वतन हुई हमें तर्क-ए-वतन के बाद

एलान-ए-हक़ में ख़तरा-ए-दार-ओ-रसन तो है

लेकिन सवाल ये है कि दार-ओ-रसन के बाद

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं

दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद