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GHAZAL

आज सोचा तो आँसू भर आए

आज सोचा तो आँसू भर आए

मुद्दतें हो गईं मुस्कुराए

हर क़दम पर उधर मुड़ के देखा

उन की महफ़िल से हम उठ तो आए

रह गई ज़िंदगी दर्द बन के

दर्द दिल में छुपाए छुपाए

दिल की नाज़ुक रगें टूटती हैं

याद इतना भी कोई न आए

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