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वो दिन भी हाए क्या दिन थे जब अपना भी तअल्लुक़ था

वो दिन भी हाए क्या दिन थे जब अपना भी तअल्लुक़ था

दशहरे से दिवाली से बसंतों से बहारों से

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वो दिन भी हाए क्या दिन थे जब अपना भी तअल्लुक़ था — Kaif Bhopali • ShayariPage