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GHAZAL

सलाम उस पर अगर ऐसा कोई फ़नकार हो जाए

सलाम उस पर अगर ऐसा कोई फ़नकार हो जाए

सियाही ख़ून बन जाए क़लम तलवार हो जाए

ज़माने से कहो कुछ साइक़ा-रफ़्तार हो जाए

हमारे साथ चलने के लिए तय्यार हो जाए

ज़माने को तमन्ना है तिरा दीदार करने की

मुझे ये फ़िक्र है मुझ को मिरा दीदार हो जाए

वो ज़ुल्फ़ें साँप हैं बे-शक अगर ज़ंजीर बन जाएँ

मोहब्बत ज़हर है बे-शक अगर आज़ार हो जाए

मोहब्बत से तुम्हें सरकार कहते हैं वगरना हम

निगाहें डाल दें जिस पर वही सरकार हो जाए

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