इस तरह मोहब्बत में दिल पे हुक्मरानी है

इस तरह मोहब्बत में दिल पे हुक्मरानी है

दिल नहीं मिरा गोया उन की राजधानी है


घास के घरौंदे से ज़ोर-आज़माई क्या

आँधियाँ भी पगली हैं बर्क़ भी दिवानी है


शायद उन के दामन ने पोंछ दीं मिरी आँखें

आज मेरे अश्कों का रंग ज़ाफ़रानी है


पूछते हो क्या बाबा क्या हुआ दिल-ए-ज़िंदा

वो मिरा दिल-ए-ज़िंदा आज आँ-जहानी है


'कैफ़' तुझ को दुनिया ने क्या से क्या बना डाला

यार अब तिरे मुँह पर रंग है न पानी है