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यही है ज़िंदगी तो ज़िंदगी से ख़ुद-कुशी अच्छी

यही है ज़िंदगी तो ज़िंदगी से ख़ुद-कुशी अच्छी

कि इंसाँ आलम-ए-इंसानियत पर बार हो जाए

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