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तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं

तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं

हाँ मुझी को ख़राब होना था

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तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं — Jigar Moradabadi • ShayariPage