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इब्तिदा वो थी कि जीना था मोहब्बत में मुहाल

इब्तिदा वो थी कि जीना था मोहब्बत में मुहाल

इंतिहा ये है कि अब मरना भी मुश्किल हो गया

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इब्तिदा वो थी कि जीना था मोहब्बत में मुहाल — Jigar Moradabadi • ShayariPage