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हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है

हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है

रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है

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हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है — Jigar Moradabadi • ShayariPage