आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैंJigar Moradabadi@jigar-moradabadiआ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं