वो जो रूठें यूँ मनाना चाहिए

वो जो रूठें यूँ मनाना चाहिए

ज़िंदगी से रूठ जाना चाहिए

हिम्मत-ए-क़ातिल बढ़ाना चाहिए

ज़ेर-ए-ख़ंजर मुस्कुराना चाहिए

ज़िंदगी है नाम जोहद ओ जंग का

मौत क्या है भूल जाना चाहिए

है इन्हीं धोकों से दिल की ज़िंदगी

जो हसीं धोका हो खाना चाहिए

लज़्ज़तें हैं दुश्मन-ए-औज-ए-कमाल

कुल्फ़तों से जी लगाना चाहिए

उन से मिलने को तो क्या कहिए 'जिगर'

ख़ुद से मिलने को ज़माना चाहिए