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अब मिरा ध्यान कहीं और चला जाता है

अब मिरा ध्यान कहीं और चला जाता है

अब कोई फ़िल्म मुकम्मल नहीं देखी जाती

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अब मिरा ध्यान कहीं और चला जाता है — Jawwad Sheikh • ShayariPage