मैं चाहता हूँ कि दिल में तिरा ख़याल न हो

मैं चाहता हूँ कि दिल में तिरा ख़याल न हो

अजब नहीं कि मिरी ज़िंदगी वबाल न हो

मैं चाहता हूँ तू यक-दम ही छोड़ जाए मुझे

ये हर घड़ी तिरे जाने का एहतिमाल न हो

मैं चाहता हूँ मोहब्बत पे अब की बार आए

ज़वाल ऐसा कि जिस को कभी ज़वाल न हो

मैं चाहता हूँ मोहब्बत सिरे से मिट जाए

मैं चाहता हूँ उसे सोचना मुहाल न हो

मैं चाहता हूँ मोहब्बत मुझे फ़ना कर दे

फ़ना भी ऐसा कि जिस की कोई मिसाल न हो

मैं चाहता हूँ मोहब्बत मिरा वो हाल करे

कि ख़्वाब में भी दोबारा कभी मजाल न हो

मैं चाहता हूँ कि इतना ही रब्त रह जाए

वो याद आए मगर भूलना मुहाल न हो

मैं चाहता हूँ मिरी आँखें नोच ली जाएँ

तिरा ख़याल किसी तौर पाएमाल न हो

मैं चाहता हूँ कि मैं ज़ख़्म ज़ख़्म हो जाऊँ

और इस तरह कि कभी ख़ौफ़-ए-इंदिमाल न हो

मिरी मिसाल हो सब की निगाह में 'जव्वाद'

मैं चाहता हूँ किसी और का ये हाल न हो