करेगा क्या कोई मेरे गले-सड़े आँसू

करेगा क्या कोई मेरे गले-सड़े आँसू

तो क्यूँ न सूख ही जाएँ पड़े पड़े आँसू

जो याद आएँ तो दिल ग़म से फटने लगता है

किसी अज़ीज़ की पलकों में वो जड़े आँसू

हुआ मैं अपनी तही-दामनी से शर्मिंदा

किसी की आँखों में थे ये बड़े बड़े आँसू

ख़िज़ाँ में पत्ते भी ऐसे कहाँ झड़े होंगे

हमारी आँखों से जूँ हिज्र में झड़े आँसू

मैं इस ख़याल से जाते हुए उसे न मिला

कि रोक लें न कहीं सामने खड़े आँसू

किसी ने एक तरफ़ मर के भी गिला न किया

किसी ने देखते ही देखते घड़े आँसू

महारत ऐसी कि बस देखते ही रह जाओ

निकालता है कोई यूँ खड़े खड़े आँसू

तुम्हें कहा ना कि बस हो गए जुदा हम लोग

उखाड़ते हो मियाँ किस लिए गड़े आँसू

मगर जो ज़ब्त ने तूफ़ाँ खड़े किए अब के

तमाम उम्र बहाया किए बड़े आँसू

अजब गुदाज़ तबीअत है आप की 'जव्वाद'

ज़रा सी बात हुई और छलक पड़े आँसू