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GHAZAL

दाद तो बाद में कमाएँगे

दाद तो बाद में कमाएँगे

पहले हम सोचना सिखाएँगे

मैं कहीं जा नहीं रहा लेकिन

आप क्या मेरे साथ आएँगे

कोई खिड़की खुलेगी रात गए

कई अपनी मुराद पाएँगे

खुल के रोने पे इख़्तियार नहीं

हम कोई जश्न क्या मनाएँगे

हँसेंगे तेरी बद-हवासी पर

लोग रस्ता नहीं बताएँगे

तुम उठाओगे कोई रंज मिरा

दोस्त अहबाब हज़ उठाएँगे

हमें अपनी तलाश में मत भेज

खड़ी फ़सलें उजाड़ आएँगे

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