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इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं

इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं

होंटों पे लतीफ़े हैं आवाज़ में छाले हैं

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इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं — Javed Akhtar • ShayariPage