GHAZAL•
सूखी टहनी तन्हा चिड़िया फीका चाँद
By Javed Akhtar
सूखी टहनी तन्हा चिड़िया फीका चाँद
आँखों के सहरा में एक नमी का चाँद
उस माथे को चूमे कितने दिन बीते
जिस माथे की ख़ातिर था इक टीका चाँद
पहले तू लगती थी कितनी बेगाना
कितना मुबहम होता है पहली का चाँद
कम हो कैसे इन ख़ुशियों से तेरा ग़म
लहरों में कब बहता है नद्दी का चाँद
आओ अब हम इस के भी टुकड़े कर ले
ढाका रावलपिंडी और दिल्ली का चाँद