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GHAZAL

जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो

जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो

लोग लगते हैं परेशान ज़रा देख तो लो

फिर मुक़र्रिर कोई सरगर्म सर-ए-मिंबर है

किस के है क़त्ल का सामान ज़रा देख तो लो

ये नया शहर तो है ख़ूब बसाया तुम ने

क्यूँ पुराना हुआ वीरान ज़रा देख तो लो

इन चराग़ों के तले ऐसे अँधेरे क्यूँ है

तुम भी रह जाओगे हैरान ज़रा देख तो लो

तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद

निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो

ये सताइश की तमन्ना ये सिले की परवाह

कहाँ लाए हैं ये अरमान ज़रा देख तो लो

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जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो — Javed Akhtar • ShayariPage