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GHAZAL

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया

उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया

उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी

ग़म भी वो शायद बराए मेहरबानी दे गया

सब हवाएँ ले गया मेरे समंदर की कोई

और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया

ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया

मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया

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जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया — Javed Akhtar • ShayariPage