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GHAZAL

अभी ज़मीर में थोड़ी सी जान बाक़ी है

अभी ज़मीर में थोड़ी सी जान बाक़ी है

अभी हमारा कोई इम्तिहान बाक़ी है

हमारे घर को तो उजड़े हुए ज़माना हुआ

मगर सुना है अभी वो मकान बाक़ी है

हमारी उन से जो थी गुफ़्तुगू वो ख़त्म हुई

मगर सुकूत सा कुछ दरमियान बाक़ी है

हमारे ज़ेहन की बस्ती में आग ऐसी लगी

कि जो था ख़ाक हुआ इक दुकान बाक़ी है

वो ज़ख़्म भर गया अर्सा हुआ मगर अब तक

ज़रा सा दर्द ज़रा सा निशान बाक़ी है

ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी

वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है

अब आया तीर चलाने का फ़न तो क्या आया

हमारे हाथ में ख़ाली कमान बाक़ी है

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