याराँ वो जो है मेरा मसीहा-ए-जान-ओ-दिल

याराँ वो जो है मेरा मसीहा-ए-जान-ओ-दिल

बे-हद अज़ीज़ है मुझे अच्छा किए बग़ैर

मैं बिस्तर-ए-ख़याल पे लेटा हूँ उस के पास

सुब्ह-ए-अज़ल से कोई तक़ाज़ा किए बग़ैर