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पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें

पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें

ज़मीं का बोझ हल्का क्यूँ करें हम

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पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें — Jaun Elia • ShayariPage