"नाकारा"

"नाकारा"

कौन आया है

कोई नहीं आया है पागल

तेज़ हवा के झोंके से दरवाज़ा खुला है

अच्छा यूँ है

बेकारी में ज़ात के ज़ख़्मों की सोज़िश को और बढ़ाने

तेज़-रवी की राहगुज़र से

मेहनत-कोश और काम के दिन की

धूल आई है धूप आई है

जाने ये किस ध्यान में था मैं

आता तो अच्छा कौन आता

किस को आना था कौन आता