Shayari Page
NAZM

"ख़ल्वत"

"ख़ल्वत"

मुझे तुम अपनी बाँहों में जकड़ लो और मैं तुम को

किसी भी दिल-कुशा जज़्बे से यकसर ना-शनासाना

नशात-ए-रंग की सरशारी-ए-हालत से बेगाना

मुझे तुम अपनी बाँहों में जकड़ लो और मैं तुम को

फ़ुसूँ-कारा निगारा नौ-बहारा आरज़ू-आरा

भला लम्हों का मेरी और तुम्हारी ख़्वाब-परवर

आरज़ू-मंदी की सरशारी से क्या रिश्ता

हमारी बाहमी यादों की दिलदारी से क्या रिश्ता

मुझे तुम अपनी बाँहों में जकड़ लो और मैं तुम को

यहाँ अब तीसरा कोई नहीं या'नी मोहब्बत भी

Comments

Loading comments…