GHAZAL•
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
By Jaun Elia
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
तुम्हारे बाद भला क्या हैं वादा-ओ-पैमाँ
बस अपना वक़्त गँवा लूँ अगर इजाज़त हो
तुम्हारे हिज्र की शब हाए कार में जानाँ
कोई चिराग़ जला लूँ अगर इजाज़त हो
जुनूँ वही है वही है मगर है शहर नया
यहाँ भी शोर मचा लूँ अगर इजाज़त हो
किसे है ख़्वाहिश-ए-मरहम गरी मगर फिर भी
मैं अपने ज़ख़्म दिखा लूँ अगर इजाज़त हो
तुम्हारे याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो