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GHAZAL

शर्मिंदगी है हम को बहुत हम मिले तुम्हें

शर्मिंदगी है हम को बहुत हम मिले तुम्हें

तुम सर-ब-सर ख़ुशी थे मगर ग़म मिले तुम्हें

मैं अपने आप में न मिला इस का ग़म नहीं

ग़म तो ये है कि तुम भी बहुत कम मिले तुम्हें

तुम को जहान-ए-शौक़-ओ-तमन्ना में क्या मिला

हम भी मिले तो दरहम ओ बरहम मिले तुम्हें

यूँ हो कि और ही कोई हव्वा मिले मुझे

हो यूँ कि और ही कोई आदम मिले तुम्हें

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शर्मिंदगी है हम को बहुत हम मिले तुम्हें — Jaun Elia • ShayariPage