GHAZAL•
दुश्मनों से भी दोस्ती रक्खी
दुश्मनों से भी दोस्ती रक्खी
मैंने हाथों पे ज़िंदगी रक्खी
मेरे हालात चाहे जो भी थे
तेरे ख़ातिर कभी कमी रक्खी
एक लड़के पे ज़िंदगी वारी
एक लड़की सदा दुखी रक्खी
हमने तुझको भुलाने की ख़ातिर
कैसे कैसों से दोस्ती रक्खी
मेरा बर्बाद होना बनता था
सबसे पहले तेरी ख़ुशी रक्खी