Shayari Page
GHAZAL

बात ऐसी है ऐसा था पहले

बात ऐसी है ऐसा था पहले

दर्द होने पे रोता था पहले

जैसे चाहे वो खेला करता था

मैं किसी का खिलौना था पहले

तुझपे कितना भरोसा करता था

ख़ुद पे कितना भरोसा था पहले

आख़िरी रास्ते पे चलने को

पैर उसने उठाया था पहले

अब तो तस्वीर तक नहीं बनती

मैं तो पैकर बनाता था पहले

रौशनी आई जब जला कोई

सबकी आँखों पे पर्दा था पहले

गिनती पीछे से की गई वरना

मेरा नंबर तो पहला था पहले

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