Shayari Page
GHAZAL

आँख को आइना समझते हो

आँख को आइना समझते हो

तुम भी सबकी तरह समझते हो

दोस्त अब क्यों नहीं समझते तुम

तुम तो कहते थे ना समझते हो

अपना ग़म तुमको कैसे समझाऊँ

सबसे हारा हुआ समझते हो

मेरी दुनिया उजड़ गयी इसमें

तुम इसे हादसा समझते हो

आख़िरी रास्ता तो बाक़ी है

आखिरी रास्ता समझते हो

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