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GHAZAL

तेरी मुश्किल न बढ़ाऊॅंगा चला जाऊॅंगा

तेरी मुश्किल न बढ़ाऊॅंगा चला जाऊॅंगा

अश्क आँखों में छुपाऊॅंगा चला जाऊॅंगा

अपनी दहलीज़ पे कुछ देर पड़ा रहने दे

जैसे ही होश में आऊॅंगा चला जाऊॅंगा

ख़्वाब लेने कोई आए कि न आए कोई

मैं तो आवाज़ लगाऊॅंगा चला जाऊॅंगा

चंद यादें मुझे बच्चों की तरह प्यारी हैं

उनको सीने से लगाऊँगा चला जाऊँगा

मुद्दतों बाद मैं आया हूँ पुराने घर में

ख़ुद को जी भर के रुलाऊँगा चला जाऊँगा

इस जज़ीरे में ज़ियादा नहीं रहना अब तो

आजकल नाव बनाऊँगा चला जाऊँगा

मौसम-ए-गुल की तरह लौट के आऊँगा 'हसन'

हर तरफ़ फूल खिलाऊँगा चला जाऊँगा

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