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मेहनत तो करता हूँ फिर भी घर खाली है बाबूजी

मेहनत तो करता हूँ फिर भी घर खाली है बाबूजी

मिट्टी के कुछ दीपक ले लो दीवाली है बाबूजी

मिट्टी बेच रहा हूँ जिसमें कोई जाल फ़रेब नहीं

सोना चाँदी दूध मिठाई सब जा'ली है बाबूजी

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मेहनत तो करता हूँ फिर भी घर खाली है बाबूजी — Gyan Prakash Akul • ShayariPage