क्या लिये जाते हो तुम कन्धों पे यारो

क्या लिये जाते हो तुम कन्धों पे यारो

इस जनाज़े में तो कोई भी नहीं है,

दर्द है कोई, न हसरत है, न ग़म है

मुस्कुराहट की अलामत है न कोई आह का नुक़्ता

और निगाहों की कोई तहरीर न आवाज़ का कतरा

क़ब्र में क्या दफ़्न करने जा रहे हो?

सिर्फ़ मिट्टी है ये मिट्टी-

मिट्टी को मिट्टी में दफ़नाते हुए

रोेते हो क्यों ?